Convolvulus arvensis L. - CONVOLVULACEAE - Dicotyledon

कॉनवोलव्यूलस ऑरवेनजिस


Synonymes : Convolvulus chinensis Ker Gawl., Convolvulus sagittifolius (Fischer) Liou & Ling

Common name : Bindweed, field bind weed
Common name in Hindi : Harinkhuri
Common name in Punjabi : Pohi
Common name in Urdu : Lehli, wanvehri, baily, krari

Creeping stems - © Juliana PROSPERI - CiradStem extremity - © Juliana PROSPERI - Cirad Leaf sagittate - © Juliana PROSPERI - CiradSeedling - © Juliana PROSPERI - Cirad The base of the leaves may be squarish - © Juliana PROSPERI - CiradFlowers with with pinkish stripes - © Juliana PROSPERI - Cirad Corolla funnel-shaped - © Juliana PROSPERI - CiradProstrate habit - © Juliana PROSPERI - Cirad

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पर्यायवाची

सामान्य नाम

बाईन्ड वीड, फील्ड बाईन्ड वीड।

बंगाली

हिन्दी

ऊर्दू

लेहली, वानवेहरी, बेली, करारी

 

व्याख्या

बाईन्ड वीड एक श्यान (लम्बा पड़ा हुआ) या आरोही बहुवार्षिक शाक है। इसका तना कमजोर लेकिन जड़ें बहुत सूक्षम होती है जो मीटर व्यास और मीटर की गहराई तक फैल सकती है। पत्तियाँ सरल, क्रमवार और डण्ठल युक्त, तीर के आकार की मूल में तीखे लोब्जयुक्त। फुल अकेले या से के झुण्ड में, गुलाबी रंग सफेद धारी युक्त पंखुड़ियां। इसकी जड़ (ति इसके शुष्क वर्षाहीन परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए उत्तरदायी है। कमज+ोर तना होने के कारण यह गेहूँ के पौधे पर लिपटता है। दक्षिणी भारत में इसकी जड़ें पेट साफ करने की औषधि के रूप में प्रयोग की जाती है।

 

जीव विज्ञान (बायोलोजी)

बाईन्डवीड की नई उत्पत्ति बीज द्वारा और गहरी तथा विस्तृत जड़ प्रणाली से नई डालियां उपजाकर होती है। इसके बीज बहुधा पानी, पक्षियों, फसलों के बीज और फार्म की गाड़ियों से चिपकी मिट्टी के साथ हजारों किलोमीटर दूर तक फैलते हैं। कॉनवोलव्यूलस ऑरवेनसिस के बीज मिट्टी में ५० सालों तक और कुछ प्रवासी पक्षियों के पेट में १४४ घण्टे तक जीवन योग्य रह सकते हैं।

 

पारिस्थितिकी (इकोलॉजी) एवं वितरण

यह अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका, दक्षिण-पूर्वी एशिया और प्रशान्त महासागर के टापुओं पर फैला हुआ है। यद्यपि यह पौधा अकृष्य भूमियों में पाया जाता है लेकिन यह हर प्रकार की कृष्य भूमियों में भी उग सकता है। यह शुष्य या मध्यम नमी वाली मिट्टियों में अपनी गहरी और विस्तृत जड़ (ति के कारण पनपता है। यह उपजाऊ मिट्टियों में सबसे अच्छा लेकिन कम उपजाऊ और पथरीली मिट्टियों में भी स्थिरता में उगता है।

 

कष्टक प्रभाव (न्यूसीवीलाईट)

यह जाति सबसे हानिकारक खरपतवारों में से एक है जो फसल की पैदावार में भारी गिरावट ला सकती है। कॉनवोलव्यूलस ऑरवेनसिस के बीज लम्बे समय तक मिट्टी में पड़े रहते हैं तथा छुटपुट रूप में उगते हैं। इसके दृढ़ता से बने रहने का दूसरा कारण बहुत मात्रा में जड़ों का होना है जो गहराई में जीवित रहती है। जब पानी की कमी एक सीमक कारक हो तो यह खरपतवार व्यावहारिक रूप से सभी फसलों में सफलतापूर्वक प्रतिस्पर्धाई हो सकता है। भारत में यह धान, आलू, सब्जियों और चाय में यह खरपतवार एक गम्भीर समस्या है। पाकिस्तान में यह गेहूँ, मक्का और गन्ने की फसलों में पाया जाता है।

 

खरपतवार प्रबन्धन

कर्षण विधि

एक बार किसी क्षेत्र में पैर जमाने के बाद इसका उन्मूलन बहुत हीं कठिन होता है। कई प्रयोगों में यह पाया गया है कि कुछ चुनी हुई फसलें इस तरह से व्यवस्थित की जा सकती हैं कि सूर्य की रोशनी कौन वोलव्यूलिस ऑरवेनसिस की बढ़वार में समिक कारण हो सकती है। जुताई इसमें क्रमिक और निरन्तर कमी लाने में सहायक हो सकती है जो जड़ों की मात्रा में कमी लाती है और अन्ततः इस खरपतवार का अन्त हो जाता है। जुताई, फसल चक्र और खरपतवार नियन्त्रक का संयोजन अच्छे परिणाम दे सकता है।

रासायनिक

यह लगभग सभी प्रमाणित खरपतवारनाशियों के प्रति सहनशील है तथा खरपतवारनाशियों के लगातार प्रयोग से कई जातियों का उन्मूलन हो जाता है जिस पर कॉनवोलष्यूलिस आरवेनसिस प्रतिस्पर्धा रहने के कारण एक बहुत गम्भीर समस्या हो सकता है। उगने के बाद कारफेन्ट्राजोन २५ ग्राम/है॰ या ०.७५ कि॰ ग्रा॰/है॰ वक्ट्रील-एम ४० ई॰ सी॰ (ब्रोमोजाईनिल + एम.सी.पी.ए.) डालने से इसे नियन्त्रित किया जा सकता है।

 

वनस्पति विज्ञान (बॉटनी)

स्वभाव

रेगनें या लिपटने वाला बहुवार्षिक शाक।

जड़ें

बहुत गहरी मूसला जड़ें . से मीटर या और लम्बी।

तना

दुर्बल, चिकना से रोवेंदार, से मीटर लम्बा, लिपटने वाला या भूमि की सतह पर फैला हुआ। प्रकंद रस्सी की तरह और मांसल, जो भूमि में सभी दिशाओं में फैलते हैं। इसकी नई डाली के कोंपले सतह पर पहुँचकर नये शिखर स्थापित करती हैं।

पत्तियाँ

क्रमवार, सरल, लम्बी डण्ठल युक्त, हाशिये पूरे, अण्डाकार-आयताकार, क्रमिकता से ऊपर की ओर संकरी होती हुई एक गोलाकार या भुथरा छोर, मूल चतुष्कोणीय या नीचे की ओर अनुबेधन करते हुए या डण्ठल के ओर तीर की नोकनूमा, चिकने से कुछ रोवेंदार, सें॰ मी॰तक लम्बे और सें॰ मी॰ चौड़े।

पुष्पक्रम (इनफलोरिसैन्स)

फूल सामान्यतः अकेले पत्तियों की कॉख में, डण्ठल एक से चार फूलयुक्त, दुर्बल, सें॰ मी॰ तक या अधिक लम्बा, दो सहपत्र से . सें॰ मी॰फूल के नीचे, बाह्यफल घण्टी की शकल के, मि॰ मी॰  लम्बे, आयताकार, भुथरी, बेलपत्र की पनूमा, सफेद या थोड़ा गुलाबी, कभी कभार थोड़ी बैंगनी या थोड़ी लाल धारियाँ मूल से बाहरी हाशिये तक, . से सें॰ मी॰चौड़ा और लम्बा, पुंकेसर पांच दलपत्र से जुड़े हुए, स्त्रीकेसर यौगिक दो धागे जैसे वर्तिकाग्र युक्त।

फल

दो से चार बीजों वाले अण्डाकार बीजकोष।

बीज

तीकोणीय, अण्डाकार, मन्द, गहरे भूरे से काले, खुरदरे, से मिमि. लम्बे। एक या दो सतह सपाट तथा शेष गोलाकार, मूल में खुरदरा धब्बा और निचले नोकीले छोर पर थोड़ा लाल गड्ढ़ा।

 

टिप्पणी

 

संदर्भ

-    छोकर आर. एस., चौहान डी॰ एस., शर्मा आर. के., सिंह आर. के. और सिंह आर. पी. २००२ मेजर वीडज ऑफ व्हीट एण्ड देयर मैनेजमेन्ट। बुलेटिन नं. १३ डायरेक्टोरेट ऑफ व्हीट रिसर्च। हरियाणा, इण्डिया।

-    होल्म एल. जी., प्लकनेट डी॰ एल., पान्चो जे. बी., हरबरगर जे.पी. १९९१ वर्ल्डज वॉर्सट वीडज। डिस्ट्रीब्यूसन एण्ड बायोलोजी। ईस्ट-वेस्ट सेन्टर बाई यूनिवर्सिटी प्रेस। हवाई।

-    नाय्यर एम. एम., आशिक एम. एण्ड अहम जे. २००१. मैनुअल ऑन पंजाब वीडज (पार्ट-) डायरेक्टोरेट ऑफ एमरोनॉमी। अयूब एग्रीकल्चरल रिसर्च इन्स्टीटयूट) फैसलाबाद, पाकिस्तान।


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