पर्यायवाची
सामान्य नाम
मार्निंग
ग्लोरी,
स्वाम्प मार्निंग
ग्लोरी
बंगाली
कल्भी-शाक
हिन्दी
सरनाली
ऊर्दू
व्याख्या
मार्निंग
ग्लोरी पृथ्वी व
जल दोनों में रेंगने
वाला,
अधिकतर बहुवर्षीय
पौधा है। इसके तने
खोखले,
तने की निचली
गांठों पर जड़ें और
हल्के हरे कदाचित जगह-जगह
पर भद्दे लाल-भूरे
होते हैं। इसकी पत्तियाँ
बर्छीकार से तीरनुमा लम्बे
डण्ठल युक्त,
साधारण,
चक्रीय क्रम में ठीक
स्थानों पर व्यवस्थित होती
है। इसके तने एक्सोडेटस
होते हैं जिन्हें काटने
पर इनका रस दूधिया
होता है। फूल बड़े,
एकल,
एक या दो
पत्तियों के अक्ष में,
नालिकाकार,
काफी खुले हुए
सफेद से बैंगनी रंग
के होते हैं।
जीव विज्ञान
इस
प्रजाति के प्रवर्धन में
कायिक गुणनक्रिया बहुत
महत्वपूर्ण है,
जो तने
की गांठों वाली
जड़ों और भूस्तारी द्वारा
होता है। मार्निंग ग्लोरी
बीज द्वारा व
मुख्यतया शुष्क
ऋतु में
अस्थाई पानी भरी हुई
जमीन में पैदा होता
है। शुष्कता इसके
जीवन को जब नहीं
पनपने देती यह तब
भी एकवर्षीय पौधे
के रूप में उग
जाता है।
पारिस्थितिकी एवं वितरण
यह
एशिया से उत्पन्न होकर
विश्व के सभी शुष्क
क्षेत्रों में फैला हुआ
है।
कष्टक प्रभाव
यह
धान की फसल का
खरपतवार है और यह
पानी से भरे हुए
स्थानों के चारों तरफ
पाया जाता है।
खरपतवार प्रबन्धन
कर्षण विधि
क्रमवार खेत को गीला करना और
सुखाना या हाथ से निकालना इसके नियन्त्रण के असरदार तरीके हैं।
जैविक
रासायनिक
उगने
के बाद ५०० ग्रा॰/है॰
२,४-डी॰
का प्रयोग
इस खरपतवार के दबाने में सहायक है ।
वनस्पति विज्ञान
स्वभाव
यह
भूमीय,
जलीय,
मुख्यतः
बहुवार्षिक,
ट्रेलिंग व
तैरने वाला होता है।
जड़ें
बहुवर्षीय
पौधों में शीघ्रता से
बढ़ने वाली मोटी व
काष्ठीय मूसला जड़ें होती
हैं। गांठों पर
अपस्थिनिक जड़ें होती हैं।
तने
टैरेट,
खोखला,
अरेमिल,
गांठों
पर जड़ें युक्त होता
है। इसकी आन्तरिक संरचना
स्पंजी व फ्लैसी होती
है। तना काटने पर
दूधिया रस युक्त एक्सोडेटस
होता है।
पत्तियाँ
पत्तियाँ
साधारण,
लम्बे डण्ठल
(३
से १५ सें॰
मी॰ लंबा)
वाली चक्रीय क्रम
में ठीक स्थान पर
व्यवस्थित होती है। इनके
फलक हृदयाकार ४
से १० सें॰
मी॰ लम्बे
और २ से ६
सें॰ मी॰ चौड़ें होते हैं। इसकी
आकृति बदलती रहती है
जो मुख्यतः हैस्टेट
लेकिन तीर की नोंक
के समान भी होती
है और ऊपर की
तरफ यह भालाकार,
निशिताग्र
से लम्बाग्र,
हल्की
म्यूको सहित,
आधार
पर स्पष्ट अकेली
व बड़ी हृदयाकार,
पूरे
तटों पर अनियमित आरी
के समान दांतें या
आधार की तरफ छोटे
गोल फूली हुई आकृति,
विन्यास डण्ठल के दोनों
तरफ पत्ती युक्त,
मुख्य
सिरा साफ,
गहरे
हरे व ऊपर की
तरफ हल्की हरी,
नीचे
की तरफ होती है।
पुष्पक्रम
पुष्प
एकल व बड़े आकार
के,
२-७ सें॰
मी॰ लंबे
डण्ठल युक्त,
बाह्य
दलपुंज १ सें॰
मी॰लम्बा
व ५ बाह्यदलों
के सयुग्म से
बना हुआ,
दलपुंज
बड़ा कीपाकार,
पतला,
नलिकाकार वाला बाहरी हिस्सा
हल्के बैंगनी रंग
युक्त व अन्दर से
गहरा बैंगनी रंग
वाला,
फैला हुआ भाग
सफेद,
कदाचित आन्तरिक,
दलपुंज पूरी तरह सफेद,
५ मिडपेटेलाइन बैंडस,
बाह्यदल
की अपेक्षा काफी
पतली प्रत्येक थोड़ा
सा तटीय शिखरयुक्त,
पुंकेसर-५,
स्वतंत्र,
असमान,
आधार
के ऊपर हल्के जुड़े
हुए और बाह्दयल
में मिले हुए सिरों
पर हल्के बैंगनी,
परागकोश
द्विकोशीय,
अंडाकार वर्तिकाग्र
द्विगोलीय,
पैपीलोज,
सिरे
हल्के बैंगनी एडेनेट
लोब्स,
प्रत्येक १
मि॰ मी॰ व्यास
वाला पुंकेसर लम्बाई
की अपेक्षा ऊँचे।
फल
सम्पुटिका,
अंडाकृति नुकीलापन लिये
हुए गोलाकार,
८-१२
मि॰ मी॰ व्यास
वाले व प्रत्येक सम्पुटिका
में चार बीज होते
हैं।
बीज
भूरे
व सघन रायेंयुक्त,
पृष्ठीय
भाग गोलाकार उठाव
सहित बाकी अन्य समतल,
७-८ मि॰
मी॰ लम्बे व ४-५
मि॰ मी॰ चौड़े।
पौद्
(सीडलिंग)
इसके
बीजपत्र अ आकृति के
द्विगोलीय फलक,
४
सेंमी लम्बे व ८
मि॰ मी॰ चौड़े
डण्ठलयुक्त होते हैं। पृथम
पत्ती साधारण,
एकान्तर
क्रम से व्यवस्थित,
त्रिकोणीय
आकृति,
लम्बे डण्ठल सहित
हल्की हैस्टेट होती
है।
टिप्पणी
इसके
तने व नई पत्तियाँ
विभिन्न प्रकार की
सब्जियों में कच्ची व
पकाकर प्रयोग की
जाती है। पुरानी पत्तियाँ
सुअरों के खाने के
काम आती है।
संदर्भ
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-
पी फोन
- २०००,
डिग्शनेरिये डेस
प्लेन्टस,
यूटिलिसीस अपू
काम्बोज,
ओलम्पिक खान
कैमकर मोन फनेल पेंह।