सामान्य नाम
कौआपैर,
इजीप्टीयन उंगली घास, कोस्ट बटन घास
बंगाली
काकपाया
घास
हिन्दी
मकड़ा,
मदाना
उर्दू
मधाना
घास
व्याख्या
मकड़ा
एक वर्षीय, फैलने वाला थोड़ा आरोही घास है, गाँठों पर जड़ेंं, प्राय शाखाऐं फैली हुई चटाई की तरह, पत्तियाँ मुडी हुई, रोमों की पंक्ति द्वारा रेखांकित और कंघे के दाँतों की तरफ व्यवस्थित। ये रोम आधार में उड़ जाते हैं। इसे आसानी से इसके २-७ खुरदरे, प्रांगुलित स्पाईको द्वारा पहचाना जा सकता है। पत्येक स्पाईक एक बिन्दु पर खत्म होती है, इसमें फूलो की दो पंक्तियाँ, दाने अनावृत। ठोस गोलाकार, लाल जैसे व रीढ़ जैसे उभार युक्त। इसके बीजों का प्रयोग, तीन महाद्वीपों में कमी के समय मनुष्यों के लिए किया जाता है। यह कभी-कभी मनुष्यों और पच्चुओं के लिए हानिकारक होता है।
जीव
विज्ञान
मकड़ा
एक एक वर्षीय पौधा है। यह प्रमुखतः बीज द्वारा गुणित होता है। इनका वनस्पतिक प्रवर्धन निचली गाँठों पर उपस्थित जड़ों युक्त रेंगने वाले तनों द्वारा वर्षा ऋतु में होता है।
पारिस्थितिकी एवं
वितरण
इस
प्रजाति का जन्म स्थान पुराना विच्च्व उष्णकटिबन्धीय है जहाँ यह धान, गन्ना, मक्का, कपास व मूँगफली की फसल का बहुत ही कष्टकारक खरपतवार है। सामान्यतः यह बलुई मिट्टी या ठीक जल निकास वाली भारी भूमियों में होता है। यह ७० सें॰
मी॰ ऊँचाई
युक्त घास के मैदान बना सकता है। यह मुख्यतः अर्द्धनम और औसतन - सूखी मिट्टी में मिलता है। यह समुद्र के किनारे वाले मैदानों, कृषिं योग्य भूमि और समुंद्र के किनारे पडे+ बेकार क्षेत्रों में सघन संख्या में भी मिलता है।
कष्टक
प्रभाव
भारत
में यह गन्ना, मक्का और धान के खेतों का प्रमुख खरपतवार है।
खरपतवार प्रबन्धन
कर्षण
विधि
फसल की सुरुआती
बढ़बार के समय पानी खड़ा रख कर इसे असरदार तरीके से
नियन्त्रित किया जा सकता है।
रासायनिक
उगने
से पूर्ण १.५ कि॰ ग्रा॰/है॰
ब्यूटाक्लोर, ४०० ग्रा॰/है॰ अनिलोफोस, १.० कि॰ग्रा॰/है॰
प्रेटिलाक्लोर अथवा १.५ कि॰ग्रा० प्रति है॰ पैन्डिमैथिलिन प्रयोग करने से प्रभावी
नियन्त्रण हो जाता है ।
वनस्पति विज्ञान
स्वभाव
थोड़ी
फैलने वाली से हल्की आरोही घास, गाँठों पर जड़ें युक्त, १० से ७० सें॰
मी॰ ऊँचा
कभी-कभी १ मी॰ तक।
जड़ें
रेशेदार
जड़ें।
तना
तना
हल्का दबा हुआ, १ से ३ मि॰ मी॰ चौड़ा, चिकना व रोये रहित गाँठों पर गहरा। प्रारम्भ में तना सीधा बढ़ने वाला, गाँठों में आसानी से आसानी से जड़ें निकलती है बाद में ये पुष्प बन जाती हैं।
पत्तियाँ
एकान्तर
रोम रहित, आच्छद के साथ, दबा हुआ और हल्का कैरीनेटिड, लिम्यूल १.५ मि॰ मी॰ उँचे, झिल्लीदार और मिखर पर थोडे छोटे। ४ से ८ मि॰ मी॰ चौड़े फलक और ६ से २० सें॰
मी॰ लम्बे,
रेखाकार, चिकने या खुरदरे, मुलायम रोमों से ढ़के हुए (आधार पर फूले हुए), आडे+ तिरछे भागों में मुडे हुए, खुरदरा भाग, कंघीय रोमों के साथ, नलिकाकार आधार सहित साधारण या दो गुणा। रोम रहित आकार से हल्का दृढ़लोभी।
पुष्पक्रम
यह
२ से ७ माटी, प्रागुलित, स्पाइकिकाओ से मिलकर बना हुआ। समानान्तर फैला हुआ, रेखाकार, लम्बाई २ से ५ सें॰ मी॰ और एक बिन्दु के साथ अन्तै। पिच्छाक्ष, ऊपरी बेकार भाग में त्रिकोणीय, स्पाइकिकाये अवृंत निचली सतह पर सपाट और पिच्छाक्ष (लम्बाई और चौड़ाई २ से ५ मि॰ मी॰) के निचले भाग पर २ पंक्तियो में व्यवस्थित, २ से ५ उर्वर फूलों के साथ। निचले तूड़ अंडाकार व भालाकार, १.५ से २ मि॰ मी॰ लम्बे रोमिल रहित पृद्यठीय नसों के साथ जो छोटे बिन्दु में समाप्त। ऊपरी तूड अंड़ाकार, १.५ से २ मि॰ मी॰ लम्बे। १ से १.५ मि॰ मी॰ लम्बे खुरदरे बिन्दु के द्वारा लम्बे, बाह्य पुष्प दल (अंडाकार, २.५ से ४ लम्बा, मोटे व खुरदरे पृष्ठीय नसो के साथ, अन्तः पुष्पदल,बाहय पुच्च्पदल) की तुलना में छोटे, झिल्लीयुक्त और छोटे बिन्दु के साथ अन्त हो जाता है।
बीज
दाने,
अंडाकार १ मि॰ मी॰ लम्बाई में, ढ़ीली फल भित्ति युक्त, अनियमित, पृष्ठीय मेंड युक्त, संतरी-भूरे।
नयी
पत्तियाँ ऊपर की तरफ मुड़ी हुई, जिभिका झिल्ली युक्त शिखर पर भालाकार, आच्छद अरोमिल, फलक रेखाकार, भालाकार, २ से ५ सें॰
मी॰ लम्बे
और ३ मि॰ मी॰ चौडे मुख्य नस मुडी हुई, पक्ष्म तट रोमों से ढ़के हुए।
टिप्पणी
संदर्भ
-
टी० ले० बोरगेओइस, ई० जीयूफ्रोल्ट, पी० गार्ड, ए० करारा-२००० एडवनरन वी० १.० लेस प्रिंसिपल्स मोवैसेज हर्बस डी॰ लारियूनियन (सी-डी-रोम), सीराद, एस०पी०बी० फ्राँस।
-
एल०जी० हाल्म, डी॰ एल० प्लकनैट, जे० वी० पानचो, जे० पी० हरबरगर १९९१। दा वर्लस रोस्ट वीडस डिस्ट्रीब्यूश न एंड बायलॉजी ईस्ट वेस्ट सैन्टर बाई दा यूनिवर्सिटी पै्रस हवाई
-
एम० सोऐरजानी० ए० जे० जी० एच० कोस्टर्मेन्स, जी० तजित्रोसोऐपोगो १९८७ वीडस आफ राइस इन इंडोनेषिय। बलाई पुस्तिका, जकार्ता।
-
ई० हाफिगर, एच० स्कोल्ज १९८० ग्रास वीडस २, डौकमैन्टा सिबा - गैइजी, स्वीटजरलैंड।