Cyperus difformis L. - CYPERACEAE - Monocotyledon

साईपरस डीफौरमिस


Common name :
Sedge, smallflower umbrella
Common name in Hindi : Dila, motha
Common name in Urdu : Ghoin

Habit - © Juliana PROSPERI - CiradInflorescence in compact head - © Juliana PROSPERI - Cirad Inflorescence - © Juliana PROSPERI - CiradStem section - © Juliana PROSPERI - Cirad Roots - © Juliana PROSPERI - CiradBotanical line drawing - © -

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पर्याचवायी

सामान्य नाम

सेज, समालफ्लावर अम्बरेल्ला

बंगाली

हिन्दी

डीला, मोथा

उर्दू

गोइन

 

व्याख्या

डीला एक छोटा, गुच्छो में उगनेवाला, वार्षिक सेज (दलदली पौधा) है जो पुराने विश्व के अयनवृत क्षेत्रों में उत्पन्न हुआ है। इसे मुख्यतः घने, गोलाकार सिटटों, जो बहुत सारी केन्द्र से फैलती हुई छोटी सुटियों से बने होते हैं, के कारण दूसरों से पृथक किया जा सकता है।

 

जीव विज्ञान(बायोलोजी)

यदि मिट्टी में प्रचर नमीं हो तो यह अयनवृत्त क्षेत्रों में वर्ष भर फल-फूल और बीज उत्पन्न कर सकता है। इस पौधे की बीज, जो बड़ी मात्रा में उत्पन्न होते हैं, द्वारा नई उत्पत्ति होती है। एक पौधा एक महीने में जीवन चक्र पूरा करके दूसरे महीने में खरपतवार की नई पीढ़ी उत्पन्न कर सकता है। एक पौधा ५०,००० बीज उत्पन्न करता है जिनमें से लगभग ६० प्रतिशत उगने योग्य होते हैं।

 

परिस्थितिकी (इकोलॉजी) एवं वितरण

मोथा दक्षिणी यूरोप, एशिया, केन्द्रीय और उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका तथा भारतीय और प्रशान्त महासागर के टापुओं में फैला हुआ है। यह विशेषकर अयनवृत्त और उप अयनवृत्त क्षेत्रों का खरपतवार है परन्तु ३५० दक्षिण से ४५० उत्तरी अक्षांश में पाया जा सकता है। यह पौधा मुख्यतः धान या अधिसिंचित चावल की खरपतवार है। यह बहुधा छोटे तालाबों, नदियों के किनारे, नहरों और नालों, खुले गीले स्थानों और घास वाली दलदलों में पाया जाता है। यह प्रचुर, उपजाऊ मिट्टियों में सबसे अच्छा उगता है परन्तु अनुपजाऊ रेतीली था चिकनी प्रयोग लाई हुई भूमियों या खाली खाली धान के खेतों में भी उग सकता है।

 

कष्टकप्रभाव (न्यूसीवीलाईट)

मोथा बहुत फैला हुआ और धान का गम्भीर खरपतवार है। यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह बहुत बीज उत्पन्न करता है और बहुत जल्दी खेतों में मुख्य खरपतवार बन जाता है। यह धान की छोटी फसल में बहुत संख्या में उगाने के कारण घनी चटाई बना देता है। यह खरपतवार रोशनी के मुकाबले पानी और पोषक तत्वों के लिए अधिक प्रतिस्पर्धाई है। इस पौधे की एक महीने में जीवन चक्र पूरा कर लेने की क्षमता इसे ९० या अधिक दिनों में पकने वाली फसल में विशेषकर प्रतिस्पर्धाई बनाता है।

 

खरपतवार प्रबन्धन

कर्षण विधि

स्टेल बैड तकनीक यानि जुताई करके और पानी लगाकर खरपतवार को उगने में सहायता करने  के बाद और फसल बोने से पहले फिर जुताई करना खरपतवार के भूमिगत बीज बैंक को कम करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है। फसल बढ़बार के शुरुआती दौर में गुडाई करना या हाथ से उखाड़ना भी खरपतवार प्रकोप कम करने में सहायक होता है।

रासायनिक

उगने के उपरान्त ५०० ग्राम/है॰ ,-डी या ग्रा॰/है॰ आलमिक्स डालना इसके नियन्त्रण में प्रभावी होता है।

 

वनस्पति विज्ञान (बॉटनी)

स्वभाव

मोथा गुच्छों में उगने वाला, मुलायम, वार्षिक या कभी कभार बहुवार्षिक, १० से ७५ सें॰ मी॰ ऊँचा सेज है।

जड़ें

अनेक धागेदार और लालीयुक्त।

तना

प्रायः अशक्त या दुर्बल, त्रिकोणा, अल्पमात्र परदार, चिकना, से मि॰ मी॰ मोटा।

पत्तियाँ

संकुचित, बहुत कम, अशक्त, प्रायः अचानक नुकीली, चिकनी या अल्पमात्र शिखर पर खुरदरी, सामान्यतः पौधे से छोटी, से मि॰ मी॰ चौड़ी, कभी कभी छोटी होकर मियाननूमा। मियान नली के आकार की नीचे तिनके से जुड़ी हुई, भूरे रंग की।

पुष्पक्रम (इन फलोरिसैन्स)

घने गोलाकार, गुच्छेदार सिटटे, सरल या यौगिक, से १५ मि॰ मी॰ आर-पार, अनेक (४० से अधिक) तारों की तरफ फैली हुई छोटी खूटियां। पुष्पक्रम प्रायः ढीली, सरल या यौगिक नीचे फैले हुए एक, दो, तीन या चार पत्तिनूमा सहपत्र जो सिकुड़े या फैले हुए, एक लगभग सीधा खड़ा, २५ सें॰ मी॰ तक लम्बी। एक डण्ठल से उगने वाले अनेक फूलों को गुच्दे की किरण से सें॰ मी॰ लम्बी, कुछ डण्ठल रहित, कुछ लम्बी डण्ठल युक्त। छोटी खूंटियां संकुचित से आयताकार-संकुचित, दबी हुई से अल्पमात्र फूली हुई, भुथरा, . से मि॰ मी॰ लम्बा, से .२५ मि॰ मी॰ चौड़ा, १० से ३० फूलयुक्त, अनेक, बहुत छोटे, लगभग गोलाकार, नतोदर कणिश कवच जो आमने सामने दो लाइनों में होते हैं, घने, पहले प्रचुर भूरे, मटमैले हरे या कुद काले। पुंकेसर एक या दो, तीन वर्र्तिका शाखायें।

फल

एकीन दीर्घवृताकार से अल्पमात्र अण्डाकार, आर-पार तीक्ष्ण प्रायः बराबर त्रिकोणीय, हल्का गड्ढायुक्त, चमकीला, पीले रंग का, कुछ पीला भूरा, या फीका भूरा लगभग मि॰ मी॰ लम्बा।

 

टिप्पणी

 

संदर्भ

-    होल्म एल.जी. प्लकनेट डी॰ एल. पान्चो जे. वी. हरबरगर जे.पी. १९९१ वर्ल्डज वॉर्सट वीडज। हिस्ट्रीब्यूसन एण्ड बायोलोजी। ईस्ट-वेस्ट सेन्टर वाई यूनिवर्सिटी प्रैस हवाई।


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