Brachiaria reptans (L.) C.A. Gardner & C.E. Hubb. - POACEAE - Monocotyledon

बरॉएरिया रैपटान्ज


Synonymes : Brachiaria prostrata (Lam.) Griseb., Echinochloa reptans (L.) Roberty, Panicum brachythyrsum Peter, Panicum procumbens Lam. ex Nees, Panicum prostratum Lam., Panicum prostratum var. pilosum Eggers, Panicum reptans L., Panicum umbrosum Retz., Urochloa reptans (L.) Stapf

Common name : Running grass, para grass
Common name in Hindi : Para ghas

Habit - © Juliana PROSPERI - CiradBlade and leaf-sheath - © Juliana PROSPERI - CiradHairs at the base of the blade - © Juliana PROSPERI - CiradInflorescence with 4 to 13 racemes - © Juliana PROSPERI - Cirad Botanical line drawing - © -

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पर्यायवाची

बी. परॉसटराटा'', (लाम्भ) ग्रीसेव, पैनिकम रैपटान्जएल. “ ऊरोक्लोआ रैपटान्ज” (एल.) स्टाफ.

सामान्य नाम

रनिंग ग्रास, पॉरा ग्रास

बंगाली

हिन्दी

पारा घास

उर्दू

 

व्याख्या

बरॉचीएरिया रैपटान्जएक अयनवृत (ट्रॉपीकल) क्षेत्रों का वार्षिक या बहुवार्षिक घास है, अधिकतर बहुत सारी साखाओं वाला, भूमि पर पड़ा से रेंगता हुआ तथा गांठों से जड़ों वाला। उपजाऊ तना सीधा खड़ा और जोड़ पर १० से ५० सें॰ मी॰ ऊँचा।

 

जीव विज्ञान(बायोलोजी)

इसका विस्तार वितरण पशुओं द्वारा होता है क्योंकि एक एक एनडूजू और निथोकोरस खरपतवार है।

 

पारिस्थितिकी (इकोलॉजी) एवं वितरण

अफ्रीका में उत्पन हुआ यह खरपतवार नये और पुराने विश्व के अयनवृत क्षेत्रों में पहुँच चुका है जैसे कि मध्य पूर्वी, भारतीय तथा दक्षिण पूर्वी उपमहाद्वीपों, चीन, फिलीपीन, इन्डोनेशिया, आस्ट्रेलिया तथा पैसिफक टापुओं यह नमी वाली से सूखी मिट्टियों को पसन्द करता है तथा पानी खड़ा करने पर लुप्त हो जाता है। यह सड़कों के किनारे १२०० मी॰ऊँचाई तक तथा उच्च भूमि धान के खेतों में पाया जाता है।

 

कष्टक प्रभाव (न्यूसीवीलाईट)

यह कृषि की दृष्टि से एक अल्प महत्व का खरपतवार है। पशुचारे के रूप में यह एक अच्छा घास है।

 

खरपतवार प्रबन्धन

कर्षण विधि

स्टेल बैड तकनीक यानि जुताई करके और पानी लगाकर खरपतवार को उगने में सहायता करने  के बाद और फसल बोने से पहले फिर जुताई करना खरपतवार के भूमिगत बीज बैंक को कम करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है। फसल बढ़बार के शुरुआती दौर में गुडाई करना या हाथ से उखाड़ना भी खरपतवार प्रकोप कम करने में सहायक होता है।

रासायनिक

उगने से पूर्व व्यूटाक्लोर की १.० से १.५ किलोग्राम मात्रा प्रति हैक्टेयर या ४०० ग्रा॰/है॰ अनीलोफॉस या ७५० ग्रा॰/है॰ प्रेटीलाक्लोर  का प्रयोग करने पर इसका प्रभावी नियन्त्रण हो जाता है। सीधे बोए धान में उगने के बाद ५०-६० ग्रा॰/है॰ फिनोक्साप्रॉप अच्छा नियन्त्रण प्रदान करता है ।

 

वनस्पति विज्ञान (वॉटनी)

स्वभाव

शिखर से भूमि पर पड़ा से रेंगता हुआ, अधिकतर बहुशाखीय और जोड़ों से जड़ों लिए हुए।

जड़ें

घास की गांठो के मूल से आकस्मिक जड़ें।

तना

उपजाऊ तने जोड़ों से सीधे खेडे हुए, दुबला पतला, खोखला एवं चिकना, १० से ५० सें॰ मी॰ ऊँचा।

पत्तियाँ

अण्डाकार-भालेनूमा चौडे हृदय के आकार के पत्ते, मूल से थोडा बहुत एमप्लेकसीकॉल ओर दुबली पतली, शिखर नोकीला, किनारे बारीक दांते की रह कटे हुए, अधिकतर मोमी, चिकना या बहुत कम वालों वाला, से सें॰ मी॰ लम्बे और . सें॰ मी॰ चौडे पत्ते की अयान गोलाकार, गांठो के मूल पर बारीक बाल, किनारों के साथ-साथ सघन सीएि . से सें॰ मी॰, लेग्यूल बहुत छोटा, झालरदार, खाल लम्बी, सीलिएट, जोड़ वाला हिस्सा पूरा विकसित पीला।

पुष्पक्रम (इनफलारिसैन्स)

सद्यन गुच्छे (सूडो-स्पाईकस), से सें॰ मी॰ की से १५ अगल बगल ऊपर की ओर शाखाओं से बने हुए और अन्त में एक, फूल के गुच्छो की डण्ड़ी पर लम्बे सफेद बाल, संकरी सामने की ओर मध्य में एक शहतीर जिसमें बहुत सारी स्पाइकलेट लगी होती है, निचले फूलों के गुच्छे चौड़ी धूरी वाले, क्रमवार जोड़ों में स्पाइकलेट, ऊपर अधिक ऊकोणीय तथा कम व्यवस्थित, स्पाइकलेट मि॰ मी॰ लम्बी, दीर्घवृताकार आयताकार, चपटी, शिखर पर छोटा म्यूकरो युक्त, डण्डल से लटकी हुई, घुधले पीले रंग की।

फल

आयताकार कैरिआप्सिस, चपटा, चिपका हुआ कठोर वाहन बीज कवच, वार्तिका सब-पर्सिस्टेन्ट।

 

टिप्पणी

 

संदर्भ

-    सोअरजानी, एम. कोस्टरमैनज .जे.एच टजिटरासोइयोमी जी. १९८७ बीडज ऑफ राईस इन इन्डोनेशिया। बलाई पुस्तका जकारता।


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