अम्मानीय
ऑक्टान्ड्रा एल.
एफ.
सामान्य नाम
बंगाली
हिन्दी
उर्दू
व्याख्या
जीव
विज्ञान (बायोलोजी)
इसमें जनवरी से मार्च तक फूल तथा फरवरी से जून तक फल आते हैं।
पारिस्थितिकी (इकोलॉजी)
एवं वितरण
अम्मानीय ऑक्टान्ड्रा को भारतीय प्रायद्वीप, श्री लंका, चिटगॉग
और मल्लया से रिपोर्ट किया गया था। यह जाने मैदानी इलाकों में पाई जाती है विशेषतः तटटीय, नीचले गीले क्षेत्रों, खाली खेतों तथा धान के खेतों में खरपतवार के रूप में पाया जाता है।
कष्टक
प्रभाव (न्यूसीवीलाईट)
खरपतवार प्रबन्धन
कर्षण
विधि
स्टेल बैड तकनीक यानि जुताई करके और पानी लगाकर खरपतवार को
उगने में सहायता करने के बाद और फसल बोने
से पहले फिर जुताई करना खरपतवार के भूमिगत बीज बैंक को कम करने का एक
अच्छा तरीका
हो सकता है। फसल बढ़बार के शुरुआती दौर में गुडाई करना या हाथ से उखाड़ना
भी
खरपतवार प्रकोप कम करने में सहायक होता है। बीज बनने से पहले इसे जड़ से
उखाड़ना इसकी
बहुतायात में रुकावट पैदा करता है।
जैविक
रासायनिक
उगने के बाद इसे ५०० ग्राम प्रति हैक्टेयर २,४-डी॰ या ४ ग्राम प्रति हैक्टेयर ऑलमिक्स से नियंन्त्रित किया जा सकता है। उगने से पूर्व व्यूटाक्लोर की १.० से १.५ किलोग्राम मात्रा प्रति हैक्टेयर प्रयोग करने पर भी इसका प्रभावी नियन्त्रण हो जाता है।
वनस्पति
विज्ञान (बॉटनी)
प्रकृति/स्वभाव
यह ५० सें॰ मी॰ तक ऊँचा पुष्ट शाक है।
जड़ें
तना
पत्तियाँ
आयताकार-भालानूमा, ४.५ सें॰ मी॰ लम्बा और ०.७ सें॰ मी॰ चौड़ा, चार्टनूमा, चिकना, आधार
काननूमा-हृदय के आकार का, किनारे सम्पूर्ण, चोटी/शिखर नोकीली।
पुष्पक्रम
साइमज सरल, काँख में, डण्ठल
से १ मि॰ मी॰, फूल आरपार ७ मि॰ मी॰, पुष्टचक्र
नली ४ मि॰ मी॰ के भाग, ४ फूल पँखडियाँ, अग्नि
ज्वाला के रंग की, मध्यनाड़ी गहरे रंग वाली, गोलाकार,
४ मि॰ मी॰, पलायनशील तथा सिकुड़ी हुई। स्टैमन्स ४+४, पुष्ट चक्र नली पर विभिन्न स्थानों पर घुसे हुए, तन्तु
६ मि॰ मी॰ तक, अण्डाशय १.५ मि॰ मी॰, ४ कोशिकाओं से बना हुआ, स्टाईल
५ मि॰ मी॰ तक ।
फूल
बीजकोष ४.५ मि॰ मी॰, मोटी
पुष्टचक्र नली के बराबर।
बीज
फूला हुआ (टरजिड)
संदर्भ
-
मैथ्यू, के.एस. १९८३ तामिल नाडू कार्नेटिक की वनस्पत्तियाँ। भाग-१ एवं २:
पृष्ठ २१५२