Sphenoclea zeylanica Gaertn. - SPHENOCLEACEAE - Dicotyledon

स्फैनोक्लीया जेलानिका

Common name : Chickenspike, gooseweed, wedgewort

Habit - � Juliana PROSPERI - CiradTerminal inflorescences - � Juliana PROSPERI - Cirad Leaves evenly distributed on stem - � Juliana PROSPERI - CiradFlowers grouped in a compact inflorescence (spike) - � Juliana PROSPERI - Cirad Detail of leaves - � Juliana PROSPERI - CiradHollow stem - � Juliana PROSPERI - Cirad Stem longitudinal section - � Juliana PROSPERI - CiradRoots - � Juliana PROSPERI - Cirad Botanical line drawing - � -

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स्फेनोक्लेसी

पर्यायवाची

साधारण नाम

अंग्रजी

चिकन स्पाइक, गूजवीड, वैजवॉर्ट

हिन्दी

मिर्च बूटी

 

व्याख्या

स्फैनोक्लीया जेलानिका एक सीधा या अर्धसीधा, अर्धजलीय, १५० सें॰ मी॰ लम्बा वार्षिक शाक है। तना रसदार कम या ज्यादा खोखला, पुष्पक्रम बेलनाकार और थोड़ा सा सफेद या हरा पीला, फूल सघन जो केवल इस विशेषता के साथ एक समय में केवल एक या दो ही खिलते है।

 

जीव विज्ञान

इसका प्रर्वधन बीज द्वारा होता है।

 

पारिस्थितिकी एवं वितरण

यह जलाश्यों एवं उनके निकट जलीय बाढ़ ग्रस्त गहरे स्थानों, खाइयों और सामान्य नम़ी वाले स्थानों पर -१२५० मी॰की ऊंचाई तक मिलता है। इसका विस्तृत फैलाव अफ्रीका एवंम मैडागास्कर के उष्ण क्षेत्रों में मिलता है। विस्तृत फैलाव (संभवतः प्रवेश) ऐशिया एवंम अमेरिका के उष्ण क्षेत्रों में भी है।

 

कष्टक प्रभाव

 

खरपतवार प्रबंधन

कर्षण विधि

फसल बढ़बार के शुरुआती दौर में गुडाई करना या हाथ से उखाड़ना इसका प्रकोप कम करने में सहायक होता है।

रासायनिक

उगने के बाद ५०० ग्राम - डी॰ का प्रयोग या ग्राम प्रति हैक्टेयर ऑलमिक्स प्रयोग कर इस खरपतवार का प्रभावी नियन्त्रण किया जा सकता है । - डी॰ के प्रति सहनशीलता वाले कुछ जीव प्रारूप दक्षिण पूर्वी एशिया के धान के खेतों में पाये गये हैं जहां इस खरपतवार नाशी का लगातार प्रयोग हो रहा था ।

 

वनस्पति विज्ञान

स्वभाव

तना खोखला १५० सें॰ मी॰ लम्बा, बहुधा बहुशाखीय ।

जड़ें

असख्य, लम्बी तथा डोरीनुमा।

पत्तियाँ

पर्णफलक दीर्घायत से भालाकर, दोनों सिरों पर कमजोर, निशिताग्र से कुष्ठाग्र, . से १२. सें॰ मी॰ लम्बा, अर्ध अवृन्त से वृतक तथा वृन्तक २.५ सें॰ मी॰ लम्बा ।

पुष्पक्रम

शूकिकायें बेलनाकार, . सें॰ मी॰ तक लम्बी और शिखर पर संकीर्ण तथा पुष्पवृंन्त लगभग सें॰ मी॰ लम्बा होता है। पुष्प सघन तथा जिनकी विशेषता है कि एक समय पर एक या दो ही पुष्प खुलते है। समचतुर्भुजीय अथवा षटफलकीय, दबाब द्वारा अवृंतीय नीचे से कनाकार, एक रेखीय आधार द्वारा पिच्छाक्ष से लम्बवत जुड़ा होता है। दलपुंज सफेद, गुलाबी अथवा बैंगनी होता है तथा . से . सें॰ मी॰ लम्बे होते है।

फल

संपुटिका - मि॰ मी॰ आकार तक होती है। बाह्य दलपुंज भाग के नीचे स्कुटन जोकि आच्छादन के साथ गिर कर पिच्छाक्ष पर झिल्लीनुमा आधार छोड़ देते हैं।

बीज

पीले-भूरे, . मि॰ मी॰ लम्बे तथा अनेक बीज होते हैं।

 

संदर्भ

-    शाह, एच. के. ए. १९६८. स्फेनोक्लेसी, इन: फलोरा ऑफ ट्रोपीकल ईस्ट अफ्रीका, इ मिलने-रैडहैड एंड आर ए.म. पोलहिल, एडीटरज, पी.पी. १-२.

-    गूगल १९९८-२००४. इन्ट्रनेशनल राइस रिसर्च इन्स्टीच्यूट, राइस नौलेज बैंक ।


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