Euphorbia hirta L. - EUPHORBIACEAE - Dicotyledon

 इयूफोरबिया हिर्टा

Synonymes : Chamaesyce hirta (L.) Millsp., Euphorbia pilulifera L.

Common name : Asthma plant, garden spurge, red euphorbia
Common name in Bengali : Bara dudhia
Common name in Hindi : Baridhudi, dudh ghas
Common name in Urdu : Lal dodhak

Habit - � Juliana PROSPERI - CiradOpposite leaves - � Juliana PROSPERI - Cirad Fruits - � Juliana PROSPERI - CiradLatex - � Pierre GRARD - Cirad Detail of leaves - � Juliana PROSPERI - CiradBotanical line drawing - � -

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पर्यायवाची

कैमेसेर्स हिर्टा, एल० मिल्सप, यूफोरिया, प्लूलिफेरा

सामान्य नाम

अस्थया पौधा, गार्डन स्पर्ज, रैड यूफोरबिया

बंगाली

बड़ा दूधिया

हिन्दी

बडी दुद्धी, दूध घास

उर्दू

लाल दोधक

 

व्याख्या

इ० हिर्टा एक भूशायी, छोटा खरपतवार है। यह रोमयुक्त हरे से लाल जैसे रंग का होता है। इसके काटने के तुरन्त बाद इससे सफेद दूधिय पदार्थ निकलता है। पौधे का एक गहरा जड़ तन्तु होता है। इसका छोटा मुख्य शाखित तना अन्य द्वितीय शाखी तनों को तुरन्त पैदा करता हैं। इन तनो पर रोम प्रचुरता में प्राय लाल युक्त दिखाई पड़ते हैं। पत्तियाँ छोटे वृन्त के साथ, जोड़ों में व्यवस्थित पूरे तने पर होती हैं। इनके सिरे दन्ताकार दोनो ओर रोयेयुक्त होते हैं। पूरे तने पर फूल गेंदनुमा समूहों में एकान्तर क्रम में व्यवस्थित होते हैं। ये हरे जैसे, छोटे पुष्पधर युक्त, ग्रन्थीय सफेद किनारो सहित होते हैं। इनका फल गोलाकार कोणयुक्त होता है।

 

जीव विज्ञान

यह एक वार्षीय भूच्चायी खरपतवार हैं जो केवल बीज द्वारा गुणित होता है। बीजों का प्रकीर्णन सक्रिय तरीके निष्क्रिय तरीके से चिंटियों द्वारा होता है।

 

पारिस्थितिकी एवं वितरण

इ० हिरटा का उदगम स्थान उष्ण कटिबन्धीय अमेरिकन है और यह संसार के उष्ण कटिबन्धीय और उपोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में खरपतवार की तरह फैल गया। यह पूरे भारतीय प्रायद्वीप दक्षिण पूर्वी एशिया में बहुतायत पाया जाता है। यह एक आक्रामक पौधा है जो बड़ी तेजी से फैलता है। यह बहुत साफ वातावरण का पौधा है जो सूखी भूमियों में भी नमः क्षेत्रों की तरह पाया जाता है। यह अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में नही पाया जाता। कणयुक्त या बुलई मिट्टी इसके लिए उपयुक्त है।

 

कष्टक प्रभाव

आक्रामक, कभी-कभी बिना नुकसानदेह, यह प्रजाति धान, मक्का, गन्ना, मूँगफली और आलू के खेतों में बहुतायत में मिलता है।

खरपतवार प्रबन्धन 

कर्षण

इ० हिर्टा को हाथ या निलाई-गुडाई और कर्षण क्रियाओं द्वारा बडी आसानी से नियन्त्रित किया जा सकता है। फसल की शुरुआती बढ़बार के समय पानी खड़ा रख कर इसे असरदार तरीके से नियन्त्रित किया जा सकता है।

जैविक

इ० हिरटा के प्राकृतिक शत्रु्रओं से सम्बन्धित बहुत कम जानकारी है और जा दूसरों को भी बहुत ज्यादा खाती है।

रासायनिक

इसे उगने के २०-३० दिन बाद ५०० ग्राम ,-डी या ग्रा० मैटासल्फयूरोन प्रति है॰ की दर से प्रयोग करने पर नियन्त्रित किया जा सकता है। इ० हिरटा उगने से पहले आक्सीडायाजोन की .७५ से कि॰ग्रा० प्रति है॰ मात्रा डालने के प्रति संवेदनशील है।

 

वनस्पति विज्ञान

स्वभाव

सीधे पौधे लेकिन सामान्यतः शिखर पीछे की तरफ मुडे हुए। प्रायः आधार पर शाखाऐं, २० शासित आरोही १० से ४०  सें॰ मी॰ तक फैली हुई, सूर्य के प्रकाच्चानुसार लाल या बैंगनी जैसे।

जड़ें

मूसला जड़ें, काटने पर गाढ़ा पदार्थ बहता है।

तना

बेलनाकार, गोल प्राय लाल, अनेकों लम्बी रोमयुक्त कोशिकाओं से सघन ढ़का हुआ। दूधिया रस युक्त।

पत्तियाँ

साधारण, सम्मुख, समीप, छोटे वृन्तक युक्त, दीर्ध वृताकार - दीर्धायत भालाकार, पत्रफलक का आधार असममित होता है, किनारे स्पष्ट दन्ताकार, निचला ऊपरी भाग रोमिल (निचले भाग के पूरे तन्त्रिकाओं पर सघन रोये, ऊपर की तरफ अधिक बिखरे हुए) ये  सें॰ मी॰ तक लम्बाई और २ सें॰ मी॰ चौड़ाई मे, से झिल्ली जैसे दाँतों युक्त सहपत्र जो वृन्त के आधार पर जुडे होते हैं।

पुष्पक्रम

सघन अक्षीय या अग्र गुच्छों में एकता ससीमाक्ष, अर्द्ध गोलाकार और पुष्पवृन्त । फूल छोटे एकलिंगी, पुकेंसरी और स्त्रीकेसरी, हरे से कप जैसी आकृति जैसे सहपलचक्र की तरह जुडें हुए, शिखर पर दाँतें, दाँत हल्के ग्रन्थीयनुमा में परिवर्तित।

फल

बीजकोष गोलाकार, स्फोटी, त्रिकोणीय सहित तीन कोष्ठीय प्रत्येक में एक बीज, बहुत छोटे रोयों से ढ़का हुआ, . मि॰ मी॰ व्यास की माप में।

बीज

लाल भूरे, मि॰ मी॰ लम्बे, सूखने पर हल्की तिरछी उभारे।

पौद् (सीडलिंग)

बीजपत्र छोटे वृंतयुक्त मि॰ मी॰ लम्बे मि॰ मी॰ चौडे, अवृंत ओर रोमरहित, प्रथम पत्ती साधारण, सम्मुख और उपअवृत, दीर्ध वृताकार, आधार में असममित पत्रफलक और किनारे पर स्पष्ट दाँतेदार।

 

टिप्पणी

इयूफोरबिया हिर्टा को कभी-कभी दवाईयों में प्रयोग किया जाता है। इसकी पत्तियाँ और निकलने वाला दूधिय पदार्थ आन्तः बिमारियों मे, चर्म फफोले और श्वास सम्बन्धी दूधिया पदार्थ नेत्र श्लेष्माओ की दवाई बनाने के काम आता है। पच्चुओं को चारे के रुप में यह बेकार है और यह हल्का जहरीला हो सकता है।

 

संदर्भ

-    ले बोरगेइस टी०, जीफ्रल्ट ई० गाड पी०, कैरारा एं० २०००, एडवररन बी . लेस प्रिसिंपलस मौवसेस हर्बडिला रेयूनियन, (सी०डी॰रोम) सीराद एस०पी०वी० फ्राँस

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