Eleusine indica (L.) Gaertn. - POACEAE - Monocotyledon

इल्यूसाईन इंडिका

Common name : Goose grass
Common name in Bengali : Binna challa, chapra, gaicha, malangakuri
Common name in Hindi : Jangali marua, jhingari
Common name in Urdu : Chhota madhana, madhani cheera

Habit - � Juliana PROSPERI - CiradTufted grass - � Juliana PROSPERI - Cirad Inflorescence formed by 4 to 5 spikes  - � Juliana PROSPERI - CiradSpikelets arranged in the lower face of the spike axis - � Juliana PROSPERI - Cirad Spike detail - � Juliana PROSPERI - CiradLeaves arranged in flat position - � Juliana PROSPERI - Cirad Base of the blade with long hairs - � Juliana PROSPERI - CiradBrief  membranous ligule - � Juliana PROSPERI - Cirad Roots - � Juliana PROSPERI - CiradBotanical line drawing - � -

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ओट्यूर एस० एस० पी० एल० ग्रोटेन

सामान्य नाम

गूसे घास

बंगाली

बिनाचिला, दृपरा गाईचा, मलांगकुरी, मालन कुरी।

हिन्दी

जंगली मरवा, जीगांरी

उर्दू

छोटा मधाना, मधानी चीरा

 

व्याख्या

गूज घास सघन गुच्छेदार वार्षिक घास है। जड़ें गहरी मजबूत पत्तियाँ कुछ चौडी मुड़ी हुई सपाट स्थिति में व्यवस्थित, ये तने की पूरी लम्बाई से उत्पन्न होती है। फलक चिकना, ऊपरी सहत को छोड़कर जहाँ लम्बे लचीले रोम होते हैं। पत्ती आच्छद चपटा, और किनारे पर लम्बे रेशेयुक्त समूह उपस्थित होते हैं। पुष्पक्रम चार से पाँच हल्की हरी शूकिकाओं से बना होता है। तने के शिखर से तिरछे उत्पन्न शूकिका पर से पुष्प् होते हैं। शूकिका के अक्ष पर नीची की तरफ व्यवस्थित होते हैं।

 

जीव विज्ञान

गूज घास एक वर्षीय पौधा है। यह केवल बीज द्वारा पैदा होता है। इ० इडिका ऊष्ण क्षेत्रों कें सभी मौसमों पर्याप्त नमी में उगता है तथा फूलता है।

 

पारिस्थितिकी एवं वितरण

गूज घास एक अफ्रीकन मूल का पौधा है। और पूरे संसार में उष्णकटिबंधीय, उपोष्ण कटिबधीय और शीताष्ण क्षेत्रों में, अफ्रीका, ऐशिया दक्षिणी पश्चिमी एशिया आस्ट्रेलिया और अमेरिका सहित सभी क्षेत्रों में फैल गया। भारत में इ० इंडिका (जो कि ३३०० कि॰मी० पूर्व से पश्चिम और इतना ही उत्तर से दक्षिण) प्रजाति का प्रचुर फैलाव है। यह प्रकाश  पसन्द पौधा है और यह विश्व के गर्म और नम क्षेत्रों में उगायी जाने वाल फसलों का प्रमुख खरपतवार समस्या है। यह मुख्यतः गहरे और बहुत कीचड़युक्त से बलुई कीचड़युक्त मिट्टीयों, अच्छी जलनिकास वाली भूमियों में पाया जाता है और कठोर भूमियों में भी हो सकता है। यह खुले मैदानों घास के मैदानों चारागाह और पगडण्डियों में ठीक प्रकार उगता है। यह बहुत कुचलने के बाद भी खड़ा हो सकता है। यह बेकार स्थानों और सड़क के किनारों पर पाया जाता है। लेकिन उर्वर भूमियों में अधिक फलता-फूलता है। यह गहरे दलदली भूमियों और प्रायः सिंचित खेतों ओर नहरों के किनारे अधिक विकसित उपस्थित होता है।

 

कष्टक प्रभाव

यह खरपतवार कटिबंधीय के बीच में कृषि की सभी दशाओं में एक मुख्य समस्या है। . इंडिया भारत में एक मुख्य खरपतवार जो ऊपरी भूमि के धान और कपास तथा सब्जियों की खेती वाली भूमि को संक्रमित करता है।

 

खरपतवार प्रबन्धन

कर्षण विधि

स्टेल बैड तकनीक यानि जुताई करके और पानी लगाकर खरपतवार को उगने में सहायता करने  के बाद और फसल बोने से पहले फिर जुताई करना खरपतवार के भूमिगत बीज बैंक को कम करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है। फसल बढ़बार के शुरुआती दौर में गुडाई करना या हाथ से उखाड़ना भी खरपतवार प्रकोप कम करने में सहायक होता है। अच्छा जल प्रबन्धन इसे नियन्त्रित करने में सहायक है।

जैविक

जैविक नियन्त्रण के लिए प्राकृतिक शत्रुओं द्वारा वंश वृद्धि प्रतिबंघित की जा सकती है। भारत को छोड़ दूसरे क्षेत्रों में जहाँ मडुवा एक मुख्य खाद्य फसल हैं। इ० इंडिका पर ५० से अधिक कीड़ों, सूत्र कृमि, फफूँद, जीवाणु तथा विषाणु पाये जाते है।

रासायनिक

इसके नियन्त्रण हेतु उगने के बाद ५०० ग्रा॰/है॰ २,-डी॰ अथवा उगने से पूर्व . कि॰ग्रा॰/है॰ ब्यूटाक्लोर या ४०० ग्रा॰/है॰ अनिलोफोस या . कि॰ ग्रा॰/है॰ प्रैटिलाक्लोर या १.५ कि॰ ग्रा॰/है॰ पैन्डीमैथालीन का प्रयोग करें।

 

वनस्पति विज्ञान

स्वभाव

सघन गुच्छेयुक्त ४० से १०० सें॰ मी॰ लम्बा वार्षिक शाक।

जड़ें

जड़तन्त्र मजबूत गहरे रेशेयुक्त।

तना

तना मजबूत, दबे हुए से मि॰ मी॰ चौडे चिकने, रेशेरहित अशाखित, प्रथम सिलेप्ट, बाद में तुरन्त उगते है। रोमरहित गाठे तथा नीचे वाली प्रायः जड़ युक्त

पत्तियाँ

एकान्तर, द्विपदीय और तिरछी निकली हुई, पत्ती आच्छद नौतल, मुड़ा हुआ रोमरहित, जिभिका झिल्लीयुक्त और बहुुत छोटी ( मि॰ मी॰ ऊँची), फलक १० से ३५  सें॰ मी॰ लम्बे से १० मि॰ मी॰ चौड़े, रेखीय, आधार की तरफ मुड़े हुए शिखर की ओर चपटे, सामान्यतः रोम रहित, लेकिन ऊपरी सतह के आधार पर लम्बे लचीले रोम होते हैं। मध्यशिरा किनारों पर खुदरी और रोयेयुक्त, विच्चेषत जिभिका के नजदीक।

पुष्पक्रम

असीमाक्ष तिरछे निकले हुए संख्या में से १०, रेखीय से १५  सें॰ मी॰ लम्बे और से मि॰ मी॰ चौडे, स्पाइकिकायें से १० पुष्पयुक्त अवृत्तीय, पिच्छाक्ष पर पंक्त्तियों में व्यवस्थित ये पार्च्च्वीय चपटी पंखेनुमा से मि॰ मी॰ लम्बी और से मि॰ मी॰ चौडे, निचला तुष से मि॰ मी॰ लम्बा ऊपरी तुष . से मि॰ मी॰ लम्बा, झिल्लीयुक्त, भालाकार और शिरा के मध्य में एक खुरदरे चिहन युक्त उपस्थित, अन्तः पुष्पदल झिल्ली युकत बाह्य की तुलना में छोटा और बहुत संकरा, पुष्प के बीच में परिपक्वता के समय स्पाईकिकायें अदृच्च्य हो जाती है।

फल

दानेदार

बीज

दीर्धयत, लटवाकार, लाल-भूरे से काला, से . मि॰ मी॰ लम्बा, सिकुडा हुआ, आडा-तिरछा।

पौद् (सीडलिंग)

प्रथम पत्ती मुड़ी हुई पत्तियाँ तिरछी द्विपदीय व्यवस्थित फलक लम्बे रेखीय, सिरे पर गोल से १० सें॰ मी॰ लम्बे मि॰ मी॰ चौड़े।

 

टिप्पणी

 

संदर्भ

-    लि बोरगिस टी० जियोफ्राल ई०, गे्रड पी, करारा एं०-२०००, एडवून रन-बी . लेस प्रिंसिपल, माविज हार्बस डेलारेनियून (सी०डी॰ रोम) सिराद, एस० पी० वी० फ्राँस।

-    होम एल० जी०, प्लैकनेट डी॰ एल० पानचो जे० वी०, हरवरजर जे० पी० १९९१, दी वर्ल्ड रोस्ट वीडस। डिस्ट्रीब्यूश न एंड बायलौजी, ईस्ट वैस्ट सैन्टर बाई युनिवर्सिटी प्रेस हवाई।

-    ग्लिनाटो एम०, मूडी के, पिजिन सी० एम०, १९९९ अपलैंड राईस वीडस आफ साउथ एंड साउथ ईस्ट ऐशिया आई०आर०आर०आई० फिलिपाइन्स।

-    हाफिगर ई० स्कालज एच० १९८० ग्रास वीडस - डोक्यूमेन्टा सीबा जी० जी० स्वीटररलैंड।

-    नाय्यर एम० एम०, आशिक एम० एण्ड अहमद जे० २००१, मैन्यूअल आन पंजाब वीडस (पार्ट-), डायरेक्टर आफ एग्रोनामी अयूब एग्रीकलचरल रीसर्च इन्सटीच्यूट फैसलाबाद, पाकिस्तान।

-    वाटर हाऊस डी॰ एफ०-१९९४, बायलोजिकल कन्ट्रोल आफ वीडस, साउथ ईस्ट ऐशियन प्रोस्पेक्टस, ए० सी० आई० ए० आर० मोनोग्राफ नं० २६।

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