Anagallis arvensis L. - PRIMULACEAE - Dicotyledon

अनागैलिस आरवैनसिस


Synonymes :
Anagallis arvensis subsp. phoenicea (Scop.) Schinz & R. Keller, Anagallis latifolia L., Anagallis phoenicea Scop.

Common name : Pimpernel, scarlet pimpernel, sheperd’s weather-glass
Common name in Hindi : Krishananeel
Common name in Urdu : Billi booti

Habit - © Juliana PROSPERI - CiradSolitary flowers - © Juliana PROSPERI - CiradThe fruit is a capsule curved down  - © Juliana PROSPERI - CiradLeaves with opposite arrangement - © Juliana PROSPERI - Cirad The bottom of the leaves with black dots - © Juliana PROSPERI - CiradPetals with glandular hairs on the margins - © Juliana PROSPERI - CiradBotanical line drawing - © -

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पर्यायवाची

आनागैलिस फोइनिसिया - स्कौप

सामान्य नाम

पिम्परनल, स्कारलेट पिम्परनल, शैपरडज़ वैदर-ग्लास

बंगाली

हिन्दी

कृष्ण नील

उर्दू

 बिल्ली बूटी

 

व्याख्या

सर्दियों या गर्मियों का छोटा खरपतवार, यूरोप में उद्गम (या आभ्यन्तरिक मण्डल) जोकि सारी दुनियां में यूरोपियन प्रवासियों के आने जाने के कारण फैला है। यह मुख्यतः रबी में उगाई जाने वाली दलहनी तिलहनी, सब्जियों एवं अनाज वाली फसलों का खरपतवार हैं। तना चतुष्कोण (चौरस) एवं मूल (आधार, अधोभाग) से शाखादार होता है। इसका अकेला फूल नीले से लाल रंग के कई उतार-चढ़ाव लिए हुए होता है।

 

जीव विज्ञान (बायोलोजी)

पिम्पर्नल बीज से उत्पन्न होता है। इसमें अंकुरण नवम्बर-दिसम्बर में शुरू होता है तथा यह मार्च-अप्रैल में पक कर तैयार होता है।

 

पारिस्थितिकी (इकोलॉजी) एवं वितरण

यह कृष्ट भूमि के अतिरिक्त गीली अकृष्ट भूमि को भी ग्रस्त करता है। यह विशेषकर जुती हुई मिट्टियों में पाया जाता है।

 

कष्टक प्रभाव (न्यूसीवीलाईट)

मुख्यतः गेहूँ तथा कुछ हद तक सब्जियों तथा तिलहनी फसलों में पाया जाता है। यह एक जहरीला पौधा है विशेषतः कुत्तों, घोड़ों तथा मनुष्य जाति के लिए। यह कुछ लोगों में त्वचा सम्बन्धी रोग भी पैदा करती है यदि इसके पत्तों या तने को हाथों से तोड़ा मरोड़ा जाए। इसका जहरीला सिद्वान्त साबुन जैसे गुणों के कारण समझा जाता है।

 

खरपतवार प्रबन्धन

कर्षण विधि

फसल बढ़बार के शुरुआती दौर में गुडाई करना या हाथ से उखाड़ना इस खरपतवार के प्रकोप को कम करने में सहायक होता है।

रासायनिक

यह जाति गेहूँ के लिए अनुमोदित उगने से पहले या बाद में डाले जाने वाले अधिकतर खरपतवार नाशियों से आसानी से नियंन्त्रित की जा सकती है। उगने से पहले पैन्डीमैथालीन १.५ कि॰ ग्रा॰/है॰ और उगने के बाद ५०० ग्राम/है॰ , डी॰ या ग्रा॰/है॰ मेटसल्फ्यूरॉन का छिड़काव इसका अच्छा नियन्त्रण करता है। आईसोप्रोट्यूरॉन १००० ग्रा॰/है॰ और सल्फोसल्फ्यूरॉन २५ ग्रा॰/है॰ भी इस खरपतवार का प्रभावी नियन्त्रण करता है ।

 

वनस्पति विज्ञान (बॉटनी)

स्वभाव (प्रकृति)

यह खरपतवार पृथ्वी पर फैला हुआ, उठा हुआ या कभी-कभी सीधा खड़ा बार्षिक शाक है जोकि चिरस्थायी (बारहमासी) भी हो सकता है।

जड़ें

इसकी जड़ें धागेदार (तन्तुमय) होती है।

तना

तना चतुष्कोण (चौरस), कमजोर, ग्रन्थि बिन्दुओं से चिन्हित, मूल से फैलाव लिए शाखादार अतः १० से ४० सें॰ मी॰ लम्बा होता है।

पत्तियाँ

पत्तियाँ आमने-सामने, कभी कभार तीन पत्तों की मालानूमा, डण्ढल रहित मूल पर लिपटी हुई, अण्डाकार से २५ मि॰ मी॰ लम्बी होती है। पत्ती के किनारे अखण्ड, छोर स्थूल से कुछ नोकीला तथा मूल ह्दय के आकर का होता है। पत्ते की दोनों सतह चिकनी तथा पेन्दी काले रंग की ग्रन्थियों से चिन्हित होती हैं।

पुष्पक्रम (इनफलोरिसैंन्स)

अकेला, धुरी में से सें॰ मी॰ लम्बे पतले डण्ठल से लगा हुआ, फूल सीधा खड़ा तथा फल बनने पर झुक जाता है। कली की बाहरी ढपनी दृढ, पांच नोकों वाली, से सें॰ मी॰ लम्बी नोक तथा गोल फूली हुई होती है। फूल का भीतरी घेरा गहरे पांच भागों में विभाजित, आर-पार से १४ मि॰ मी॰, कली की ढपनी से थोड़ा छोटा, किनारों पर ग्रन्थीयुक्त बालों (छोर की कोषिका गोल बढ़ी हुई) वाला होता हैं। फूलों के अलग-अलग कई रंग होते हैं। ज्यादातर चांदी के समान, गुलाबी, लाल नीले। साधारणतया नीले फूल तथा कभी कभार सफेद फूल भी होते हैं। पुष्प-केसर पांच, फूल के भीतरी घेरे के मूल में जुड़े हुए, बैंगनी रंग के किनारों वाले बहुत से रोवेंदार तन्तुओं (रेशों) से ढके हुए होते हैं।

फल

झिल्लीनुमा पतली गोल बीजकोष, आर-पार से मि॰ मी॰ जिसका ऊपरी हिस्सा ढक्कन की तरह गिर जाता है।

बीज

मि॰ मी॰ लम्बा, त्रिकोण, भूरा तथा छोटे-छोटे छिलकों से ढका हुआ।

पौद् (सीडलिंग)

पौद् डण्ठलयुक्त बीजपत्रों सहित, विषमकोण समचतुर्भजीय तथा शिखर उच्चकोणीय। पहले पत्ते लगभग बिना डण्ठल के, अण्डाकार-आयताकार, शिखर उच्चकोणीय या थोड़ा न्यूनकोणीय एवं ऊपरी सतह पर छोटे स्याह धब्बे।

 

टिप्पणी

यह जाति कम से कम दो उपजातियों में बांटी गई है। उपजातिफोईनीशिया', (स्कौप) तथाफोईमीना', (मिल्ल) सिन्ज एवं थैल, जिसके फूल का भीतरी भाग नीले रंग का होता है। (स्कैप) सिन्ज एवं कैलर, जिसमें फूल का भीतरी भाग साधारणतया गहरे लाल रंग का होता है।

 

संदर्भ

-    होल्म, एल.जी., प्लकनेट डी.एल., पान्चो जे वी, हरबरनगर जे.पी. १९९१. वर्ल्डज वॉर्सट वीडज। डिस्ट्रीब्यूसन एण्ड बायोलोजी। ईस्ट वेस्ट सेंन्टर बाई यूनिवर्सिटी प्रेस हवाई।

-    हाफ्लिंगर, टी.जे., वोल्फ बी एम. १९८१ डाईकॉटालिडनस वीडज सीवा गायगी, बेसल, स्विटजरलैण्ड।

-    गुयोट, एल., गुईलेमॉट जे. १९६२, से मन सेज एट प्लाण्टयूलज डेश  प्रींसीपेलज माऊबेसेज हर्ब्ज। फौण्ड नेश नल वुलगारीजेश न डू परोगरेज अगरीकोल फ्रांस।

-    छोकर, आर. एस., चौहन डी॰ एस., शर्मा आर.के., सिंह आर. के. एवं सिंह आर.पी. २००२, मेजर वीडज ऑफ व्हीट एण्ड देयर मैनेजमैण्ट। बुलेटिन न० १३. डायरेक्टोरेट आफ व्हीट रिसर्च। हरियाणा, इण्डिया।

-    नाय्यर, एम.एम. आशिक एम. एण्ड अहमद जे. २००१ मैनुअल ऑन पंजाब वीडज (पार्ट-), डायरेकटोरेट ऑफ एगरोनॉमी। अयूब एगरी कल्चरल रिसर्च इन्टीटयूट फैसलाबाद, पाकिस्तान।

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